Drakshasav ke fayde : दर्द एक ऐसी फीलिंग है जिसे हमारा ब्रेन नहीं चाहता है, इस दुनिया में कोई व्यक्ति या कोई प्राणी दर्द नहीं चाहता। दर्द ऐसी फीलिंग है जिसे हम हर बार avoid करना चाहते है, पर किसी भी तरहका दुःख हो जाता है जैसे अफैर ठीक से ना हुवा हो, पैसो का दर्द, फाइनेंस का दर्द या ना किसी ना किसी प्रकार दर्द हम सबके जीवन में होते रहता है. तो उस दर्द को खत्म करने के लिए उस दर्द को भुलने के लिए सबसे पहला ऑप्शन लोगो के ब्रेन में आता है वो दारू, या फिर शराब होता है. कई सारे लोग इसलिए नशा करते है क्योंकि नशे की कंडीशन में वो जो दारू का impact है वो उनके जो दर्द है तकलिप है उसको भुला देता है, थोडी देर के लिए false मिथ्या आनंद देता है मजा देता है, पर जैसेही वो मजा डाउन होता है पुराना दर्द और याद आने लग जाता है.
तो दर्द में आपको दारू नहीं पीना चाहिए उसके तीन कारन है.....
द्राक्षासव क्या है और यह कैसे बनता है?
द्राक्षासव, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, "द्राक्षा" यानी अंगूर या मुनक्का से बना एक आयुर्वेदिक आसव (Asav) है। आयुर्वेद में आसव और अरिष्ट एक खास श्रेणी की तरल औषधियाँ होती हैं, जिन्हें किण्वन (fermentation) प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में जड़ी-बूटियों के अर्क को पानी और चीनी (या गुड़) के साथ मिलाकर एक निश्चित समय के लिए रखा जाता है, जिससे उनमें प्राकृतिक रूप से अल्कोहल उत्पन्न होता है। यह अल्कोहल जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों को निकालने और उन्हें शरीर में बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करता है, साथ ही औषधि को लंबे समय तक सुरक्षित भी रखता है।
द्राक्षासव के मुख्य घटक में सूखे अंगूर (मुनक्का) शामिल होते हैं, जो अपने पौष्टिक और पाचक गुणों के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, इसमें धतकी के फूल, लौंग, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, जायफल, काली मिर्च, चित्रक, पिप्पली जैसी कई अन्य शक्तिशाली जड़ी-बूटियाँ भी मिलाई जाती हैं। ये सभी घटक मिलकर एक ऐसा शक्तिशाली मिश्रण बनाते हैं जो शरीर के कई तंत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
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द्राक्षासव को बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल और पारंपरिक होती है। सबसे पहले, मुनक्का को पानी में भिगोकर नरम किया जाता है, फिर अन्य जड़ी-बूटियों को पीसकर इसमें मिलाया जाता है। इस मिश्रण को एक बड़े बर्तन में डालकर उसमें गुड़ या मिश्री डाली जाती है और फिर धतकी के फूलों से किण्वन (fermentation) की प्रक्रिया शुरू की जाती है। यह मिश्रण कई हफ्तों या महीनों तक रखा जाता है, जब तक कि किण्वन पूरा न हो जाए। इस धीमी प्रक्रिया से ही द्राक्षासव के औषधीय गुण निखरकर सामने आते हैं, जो इसे एक प्रभावी स्वास्थ्य टॉनिक बनाते हैं। यह अन्य आयुर्वेदिक औषधियों से इसलिए भिन्न है क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से उत्पन्न अल्कोहल होता है, जो जड़ी-बूटियों के गुणों को शरीर के गहरे ऊतकों तक पहुंचाने में मदद करता है।
द्राक्षासव के अद्भुत फायदे (Drakshasav ke fayde)
हम यह समझ गए हैं कि द्राक्षासव क्या है और यह कैसे बनता है, यह सिर्फ एक पाचन टॉनिक नहीं, बल्कि एक संपूर्ण स्वास्थ्य वर्धक है. ये बहुत कमाल की दवा है, दर्द में ज्यादातर होता क्या है आपका दिमाग सबसे ज्यादा बैचेन रहता है, आपको नींद नहीं आती बहुत ज्यादा स्ट्रेस होती है तकलिप में रहते है. द्राक्षारिष्ट या द्राक्षासव वैगेरे जब आप पिते है तो ये दिमाग की बहुत अच्छी दवा है, ये दिमाग को शांत करने का काम करती है. दूसरा फायदा ये है की देखो कभी भी आप दर्द में या दिमाग से जब आपका बैलेंस बिगडा रहता है तो उसका सबसे ज्यादा impact आपकी भूख पे पड़ता है, भूख नहीं लगती खाने का मन नहीं करता। जब दर्द के कारन आपका दिमाग बिगडा रहता है तो उसका impact आपके पेट पर पड़ता है. भूख, प्यास, digestive सिस्टम सब बिगड़ जाता है. द्राक्षासव या द्राक्षारिष्ट का सबसे ज्यादा अच्छा इफ़ेक्ट भूख पर है. इसे पिने से आपकी भूख बहुत अच्छे से खुल के लगती है और पाचन बहुत अच्छे से होता है. साथ ही साथ अब दर्द हो गया है, तो और सारी तकलीपे होती है जैसे की लिवर की प्रॉब्लम, कॉन्स्टिपेशन होना, बॉडी में पैन होना इन सारी तक़लीफोमे द्राक्षासव एक बेस्ट टॉनिक है.
1. पाचन तंत्र को मजबूत बनाना और भूख बढ़ाना द्राक्षासव का सबसे प्रमुख और लोकप्रिय फायदा (drakshasav ke fayde) पाचन से संबंधित है। आजकल की अनियमित जीवनशैली और खान-पान के कारण अपच, गैस, पेट फूलना और कब्ज जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। द्राक्षासव यहाँ एक रामबाण औषधि की तरह काम करता है।
जठराग्नि को उत्तेजित करता है: यह शरीर की पाचन अग्नि (जठराग्नि) को बढ़ाता है, जिससे भोजन का सही ढंग से पाचन होता है और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है।
भूख बढ़ाता है: जिन लोगों को भूख कम लगती है या भोजन के प्रति अरुचि होती है, उनके लिए यह बहुत फायदेमंद है। बच्चों में, खासकर जो खाना खाने में नखरे करते हैं, उनकी भूख बढ़ाने में यह सहायक होता है।
कब्ज से राहत: मुनक्का में मौजूद फाइबर और इसके वात-पित्त शामक गुण कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं, जिससे पेट साफ रहता है।
एसिडिटी और पेट फूलने में आराम: यह पित्त दोष को शांत करता है, जिससे हाइपरएसिडिटी (अम्लपित्त) और पेट में गैस बनने जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है।
2. शारीरिक कमजोरी और थकान दूर करना यदि आप अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं, या किसी बीमारी के बाद शरीर में कमजोरी आ गई है, तो द्राक्षासव आपके लिए एक बेहतरीन टॉनिक हो सकता है।
बलवर्धक: यह शरीर को बल और ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें मौजूद अंगूर और अन्य पौष्टिक जड़ी-बूटियाँ शरीर को अंदर से मजबूत बनाती हैं।
पुनर्प्राप्ति में सहायक: लंबी बीमारी या सर्जरी के बाद शरीर की शक्ति और स्फूर्ति को वापस लाने में यह बहुत प्रभावी है। यह शरीर को तेजी से रिकवर करने में मदद करता है।
सामान्य कमजोरी में लाभदायक: सामान्य शारीरिक कमजोरी, सुस्ती और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याओं में भी यह आराम देता है, जिससे आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं।
3. खून की कमी (एनीमिया) में लाभकारी द्राक्षासव उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिन्हें एनीमिया या खून की कमी की समस्या है।
आयरन का प्राकृतिक स्रोत: मुनक्का आयरन का एक अच्छा स्रोत है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रक्त निर्माण में सहायक: यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के निर्माण को बढ़ावा देता है, जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और एनीमिया के लक्षणों जैसे पीलापन, चक्कर आना और थकान में कमी आती है। यह खासकर महिलाओं और बढ़ते बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है।
4. श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत मौसम बदलने पर या प्रदूषण के कारण होने वाली श्वसन संबंधी समस्याओं में भी द्राक्षासव राहत प्रदान करता है।
खांसी और जुकाम: यह खांसी, जुकाम और गले की खराश में आराम देता है। इसके expectorant (कफ निकालने वाले) गुण बलगम को पतला करके बाहर निकालने में मदद करते हैं।
फेफड़ों को मजबूती: यह फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार करता है और श्वसन मार्ग की सूजन को कम करने में सहायक है। ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों में भी यह लाभदायक हो सकता है।
5. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और तनाव कम करना आज के दौर में मानसिक तनाव और नींद न आना एक बड़ी समस्या बन गई है। द्राक्षासव इन समस्याओं में भी मदद कर सकता है।
मस्तिष्क को शांत करता है: इसमें मौजूद कुछ घटक मस्तिष्क को शांत करने वाले गुण रखते हैं, जिससे तनाव, चिंता और बेचैनी कम होती है।
नींद में सुधार: जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, उन्हें द्राक्षासव का सेवन करने से बेहतर नींद आ सकती है। यह मन को शांत करके गहरी नींद लाने में सहायक होता है।
मूड को बेहतर बनाना: यह शरीर और मन के लिए एक कायाकल्पक के रूप में कार्य करता है, जो दुर्बलता या बीमारी के बाद ठीक होने वाले लोगों के मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है।
6. हृदय स्वास्थ्य के लिए उत्तम द्राक्षासव हृदय के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रक्त परिसंचरण में सुधार: यह रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है, जिससे हृदय पर दबाव कम होता है।
एंटीऑक्सीडेंट गुण: अंगूर और अन्य जड़ी-बूटियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण हृदय की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।
रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल: कुछ अध्ययनों के अनुसार, यह स्वस्थ रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
7. त्वचा के लिए फायदेमंद जब शरीर अंदर से साफ और स्वस्थ होता है, तो उसका असर हमारी त्वचा पर भी दिखाई देता है।
विषहरण (Detoxification): द्राक्षासव शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे रक्त शुद्ध होता है।
त्वचा में निखार: रक्त शुद्ध होने और पाचन तंत्र के बेहतर होने से त्वचा को अंदर से पोषण मिलता है, जिससे पिंपल्स, एलर्जी और रूखी त्वचा जैसी समस्याओं में कमी आती है और त्वचा में प्राकृतिक निखार आता है।
8. बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी उपयोगी द्राक्षासव की सौम्यता और प्रभावशीलता इसे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त बनाती है।
बच्चों के लिए: यह बच्चों की भूख बढ़ाने, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने और मानसिक विकास में सहायक हो सकता है।
बुजुर्गों के लिए: बुजुर्गों में अक्सर होने वाली कमजोरी, थकान और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में यह बहुत मददगार है। यह उनके शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है।
9. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों से लड़ने के लिए बहुत जरूरी है।
विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट का भंडार: द्राक्षासव में अंगूर और कई अन्य जड़ी-बूटियों के कारण यह विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का समृद्ध स्रोत है।
इम्यूनिटी बूस्टर: यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर को संक्रमणों और मौसमी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है।
द्राक्षासव का सही सेवन और सावधानियां
द्राक्षासव के अनमोल फायदों को प्राप्त करने के लिए इसका सही तरीके से सेवन करना और कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
सेवन की मात्रा:
वयस्कों के लिए: सामान्यतः 15 से 30 मिलीलीटर (लगभग 3-6 चम्मच) दिन में दो बार, बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद लेने की सलाह दी जाती है।
बच्चों के लिए: बच्चों के लिए मात्रा कम होती है, लगभग 10-20 मिलीलीटर दिन में दो बार, पानी के साथ।
कब लेना चाहिए: इसे आमतौर पर भोजन के बाद लिया जाता है ताकि पाचन क्रिया में सहायता मिल सके।
सावधानियां:
चिकित्सक की सलाह अनिवार्य: किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पहले हमेशा एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे आपकी शारीरिक प्रकृति, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य दवाओं को ध्यान में रखकर सही खुराक और सेवन विधि बता सकते हैं।
अत्यधिक सेवन से बचें: द्राक्षासव के अत्यधिक सेवन से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे दस्त, मतली (जी मिचलाना), उल्टी या सामान्य कमजोरी। हमेशा निर्धारित खुराक का ही पालन करें।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को द्राक्षासव का सेवन केवल चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ जड़ी-बूटियाँ या प्राकृतिक अल्कोहल की उपस्थिति उनके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है।
मधुमेह रोगी और लीवर की समस्या: चूँकि इसमें प्राकृतिक रूप से कुछ मात्रा में चीनी और अल्कोहल होता है, मधुमेह रोगियों और लीवर संबंधी समस्याओं वाले व्यक्तियों को इसे बहुत सावधानी से या चिकित्सक की देखरेख में ही लेना चाहिए।
अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया: यदि आप पहले से कोई अन्य दवा ले रहे हैं, खासकर पाचन संबंधी समस्याओं या रक्तचाप के लिए, तो अपने चिकित्सक को सूचित करें। द्राक्षासव कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है।
प्राकृतिक अल्कोहल: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आसव-अरिष्ट प्रक्रिया के कारण द्राक्षासव में 5-10% तक प्राकृतिक अल्कोहल उत्पन्न होता है। यह अल्कोहल औषधीय गुणों को शरीर तक पहुंचाने के लिए एक माध्यम का काम करता है और सामान्यतः निर्धारित खुराक में हानिकारक नहीं होता। हालांकि, जिन लोगों को अल्कोहल से संबंधित कोई समस्या है, उन्हें इससे बचना चाहिए।
संग्रहण: इसे हमेशा ठंडी और सूखी जगह पर, सीधी धूप से दूर रखें। उपयोग करने से पहले बोतल को अच्छी तरह हिला लें, क्योंकि प्राकृतिक अवसादन (sedimentation) हो सकता है।
निष्कर्ष
द्राक्षासव, आयुर्वेद का एक अनमोल उपहार है, जो सदियों से हमारी सेहत को बेहतर बनाने में सहायक रहा है। "द्राक्षासव के फायदे" (drakshasav ke fayde) केवल एक या दो नहीं, बल्कि कई हैं, जो इसे एक अद्भुत समग्र स्वास्थ्य टॉनिक बनाते हैं। यह हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करने, शारीरिक कमजोरी को दूर करने, खून की कमी को ठीक करने, श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत देने, और यहाँ तक कि मानसिक तनाव को कम करके बेहतर नींद लाने में भी मदद करता है। इसके अलावा, यह हृदय और त्वचा के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है।
यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, बशर्ते इसका सेवन सही मात्रा में और एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार किया जाए। द्राक्षासव केवल एक औषधि नहीं, बल्कि प्रकृति और आयुर्वेद के ज्ञान का एक ऐसा संगम है जो हमें एक स्वस्थ, संतुलित और ऊर्जावान जीवन जीने की दिशा में मदद करता है। इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाकर, आप भी आयुर्वेद के इस अमृत का लाभ उठा सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। याद रखें, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, और द्राक्षासव इस धन को पाने में आपका सच्चा साथी हो सकता है।
Disclaimer : ह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। यह पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। यदि आपको कोई बीमारी है, तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें और डॉक्टर की सलाह पर ही कोई निर्णय लें।
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