takat badhane ke liye kya khaye : पुराने समय में राजा अक्सर कई पत्नियां रखते थे, कुछ तो सौ से अधिक भी. प्रत्येक रानी से कई बच्चे होते थे. स्पष्ट है कि इतनी पत्नियों, बच्चों, सेना और प्रजा को संभालने के लिए राजा का स्वस्थ रहना अत्यंत महत्वपूर्ण था.
इन सबके बावजूद भी राजा-महाराजा अत्यंत स्वस्थ और तगड़े रहते थे. उनकी मजबूत सेहत का सबसे बड़ा रहस्य उनका देसी खानपान था. आजकल फल-सब्जियों से लेकर अनाज और दाल तक अनगिनत विकल्प उपलब्ध हैं, जबकि हजारों साल पहले खाने-पीने के इतने अधिक विकल्प नहीं थे.
प्राचीन समय में आम लोग से लेकर राजा-महाराजा तक सभी अपने खाने में ताजे और प्राकृतिक चीजों को ही शामिल करते थे. वे मौसम के अनुसार मिलने वाली चीजों पर निर्भर रहते थे और उसी के अनुसार अपना खान-पान बदलते थे. चलिए जानते हैं कि उन दिनों राजा-महाराजा क्या-क्या खाया करते थे.
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फल और सब्जियां (takat badhane ke liye kya khaye)
सब्जियों की बात करें तो उस ज़माने में बैंगन, कद्दू, मटर, कटहल और पालक जैसी सब्जियां आमतौर पर खाई जाती थीं. इन सब्जियों को कम मसालों के साथ और सरल तरीके से पकाया जाता था. फलों में आम, बेर, केला, पपीता, बेल, जामुन, खरबूजा और खजूर आदि का सेवन किया जाता था.
साबुत अनाज और दाले (takat badhane ke liye kya khaye)
पुराने समय में अनाज और विभिन्न प्रकार की दालों का बहुत सेवन किया जाता था. ऋग्वेद में भी कुछ लोकप्रिय दालों और उनके उपयोग का उल्लेख मिलता है. दालों में लाल, काली और हरी दालें सबसे ज्यादा खाई जाती थीं. गेहूं, जौ, चावल, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसे अनाजों का भी भरपूर सेवन होता था. इनका उपयोग आटा बनाने के लिए किया जाता था जिससे उन्हें पूरा पोषण मिल जाता था.
घर पर बने दूध के उत्पाद (takat badhane ke liye kya khaye)
प्राचीन काल में राजा-महाराजाओं के भोजन में सभी प्रकार के दूध से बने उत्पाद शामिल होते थे. उस समय अधिकांश लोग अपने घर पर गाय पालते थे जिससे उन्हें प्रतिदिन ताजा दूध प्राप्त होता था. दही, घी, छाछ, मक्खन और पनीर जैसे उत्पाद घर पर ही बनाए जाते थे.
मिट्टी के बर्तनों में खाना बनता था (takat badhane ke liye kya khaye)
आज भले ही प्रेशर कुकर और नॉन-स्टिक पैन ने हमारे जीवन को सरल बना दिया हो लेकिन पहले के समय में मिट्टी के बर्तन और धीमी आंच पर खाना पकाना ही मुख्य तरीके थे. मिट्टी के बर्तन भोजन के पोषक तत्वों को सुरक्षित रखते हैं और धीमी आंच पर पकाने से खाने का स्वाद और पोषक तत्व बने रहते हैं.
खाते समय ध्यान रखने वाली बातें (takat badhane ke liye kya khaye)
जमीन पर बैठना - पुराने समय में लोग खाना खाते समय सीधे जमीन पर बैठते थे और अक्सर पद्मासन की तरह पैर मोड़कर बैठते थे. यह आसन पाचन में सहायता करता था और पेट फूलने से रोकता था.
हाथ से खाना - आजकल फैंसी कटलरी का प्रचलन है लेकिन पहले के जमाने में हाथ से खाना एक सामान्य प्रथा थी जिसे सभी भारतीय अपनाते थे. माना जाता है कि हाथ से खाना भोजन के साथ बेहतर संपर्क स्थापित करने में मदद करता है.
चुपचाप खाना - भोजन के दौरान बात करना असभ्य और अशिष्ट माना जाता था. भोजन शांति से खाया जाता था और मुंह में खाना लेकर बात करना अस्वच्छ माना जाता था.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है यह किसी भी प्रकार की दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.